भाभी और देवर की गर्म कहानी: सेक्स मंत्र की किताब से जगी आग

लेकिन मुझे उसका भागना ना जाने क्यों अच्छा भी लगा, शर्मो हया लड़कियों पर फ़बती है।वो बिस्तर पर अपने हाथ पैर सिकोड़ कर पड़ी हुई थी, हर्ष ने मुझे भी इशारा किया वहाँ जाने का और खुद भी अपना सोफा पलंग के नज़दीक ले गया। और मैं तो उसको अब छोड़ना ही नहीं चाहता था, इसलिए उसके पीछे पीछे पलंग पर आ गया, वो अब औन्धी लेट गई थी।मैं उसके पास गया और उसके बदन को सहलाते हुए उसकी नाम मात्र की डोरी नुमा पैंटी भी खींच कर निकाल दी और अब वो शत-प्रतिशत, पूर्ण नग्नावस्था में पलंग पर पसरी हुई थी। मेरा चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो रहा था, हर्ष की भी हालत ऐसी ही थी। कुदरत का क्या करिश्मा था कि एक नारी की नग्न काया मर्दों को बेकाबू और उत्तेजित कर देती है।उसने अपनी बीवी के चूतड़ सहलाते हुए मुझसे पूछा- कैसी है मेरी जानेमन?

भाभी और देवर की गर्म कहानी: सेक्स मंत्र की किताब से जगी आग

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