अंतरंग क्षणों का गहरा स्पर्श

हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. अलग तरह का नशा मिलता है” मेरी नई वाली चाची बोली.उसके बाद मैं भी ठरकी होकर उनकी बुर को पेंटी के उपर से रगड़ने लगा और घिसने लगा। फिर से वो “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. Bhabhi xxx हाय फाड़ डाली मेरी गांड!!!!!”इस तरह से चाची जी सुसुआने लगी जैसे आज उन्होंने मिर्चा खाली ली हो। मैं धकम पेल जारी रखा और तेज तेज रफ्तार में गांड मारता रहा। फिर झड़ने का टाइम हो गया। अंदर ही मैं छूट गया। फिर लंड खुद ब खुद बाहर निकल आया। देखा तो गांड का छेद 1” मोटा हो गया था। दोस्तों मेरी सुहागरात अपनी सगी चाची जी के साथ पूरी हो गयी। 2 महीने उनके साथ हमबिस्तर हुआ और उनकी जवानी का भरपूर पी लिया। फिर मेरे चाचा जी घर लौट आये। अब वो मेरी चाची की चूत रोज लेते है। अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड को भूल चुके है।अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

अंतरंग क्षणों का गहरा स्पर्श

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