क्या मस्त कातिल जिस्म था मामीजी का आह! क्या गजब का स्वाद था मामीजी के बूब्स में! Aunty xxx क्या मस्त कातिल जिस्म था मामीजी का आह! शर्म आ रही है मुझे।मैं– मामीजी अब शर्माना छोड़ो और मुझे मज़ा लेने दो।मामीजी– अरे यार तू नहीं मानेगा।तभी मैंने मामीजी की चड्डी को उनकी टांगो में से निकालकर सरसो के पौधों पर टांग दी। अब मामीजी ने टांगे भिचकर चूत को छुपा लिया लेकिन मै भी कहां कम था? आह मज़ा आ गया था यारो।अब मैं लपक लपककर मामीजी के बूब्स को चूसने लगा। मुझे मामीजी के बूब्स को चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामीजी चुपचाप सरसो के खेत में मुझे बूब्स का मज़ा दे रही थी। वो मेरे बालो को सहलाती हुई मुझे प्यार कर रही थी। अजब गजब नज़ारा था यारो जिस मामीजी ने कभी मुझे बचपन में दूध पिलाया था आज मै जवान होकर मामीजी के बूब्स का दूध पी रहा था।सरसो के
भड़कीली रंडियों का झुंड जो एक साथ चुदाई कर रहा है
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