ऋषभ अब मेरे लिए बहुत प्रोटेक्टिव हो गया था.मेरी छोटी से छोटी चीज़ का ख़याल रखता और मुझे भीड़ के धक्को से भी बचा लेता था. Xxx vedio शावर के नीचे नहाते हुए कई बार मैं अपनी दो-तीन उंगलियों से हस्तमैथुन भी करती थी.भुवनेश्वर में पोर्न फिल्म देखने के बाद खीरा, गाजर और मूली भी घुसेड़ चुकी थी. मैं भी उससे मीठी मीठी बाते करती थी और वो मुझे पढ़ा दिया करता था. उसकी तो जैसे सांस रूक गयी हो. रात के करीब साढ़े नौ बजे उसने मुझे मेरे घर के करीब मोटरसाइकिल से उतार दिया.“मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी रागिनी,” ऋषभ ने कहा.“जब भी याद आये, फ़ोन कर दो,” कहते हुए मैंने उसके हाथ को चूमा.छुट्टियों के दौरान हम बीच बीच में मिलते रहे. मैं पढ़ाई से ज्यादा फ़िल्में देखना, मौज मस्ती करना और श्रृंगार प्रसाधन (मेकअप) में ज्यादा रूचि रखती थी. शनिवार और रविवार की सुबह हम दोनों नजदीक के पार्क में सुबह पांच बजे