मैंने क्या किया है”.नवीन- “मै जब से आया हूँ। तुम्हारे ही पीछे लगा हूँ। वो पास वाले घर में जो लड़का है उसके घर में क्या करने गई थी तुम”.मै कुछ न बोल सकी। मैंने अपना सर नीचे कर लिया। अभी तक मैं उसे ब्लैकमेल करने के चक्कर में थी। लेकिन उलटा मै ही फंस गईं।उसने कहा- “इतना सबको मजा देती हो थोड़ा सा हमे भी दे दो। मै किसी से कहूंगा नहीं”.मैंने भी सोचा भाई जिसमें खुश उसी में मै भी खुश। मैंने भी हाँ बोल दिया। मै कभी कभी रात में गर्म हो जाती थी। तो सोचा यही आकार ठंडी हो लिया करूंगी। नवीन ने अपना होंठ फिर से लगाकर होंठ चुसाई करने लगा। कुछ देर तक तो मैं चुप रही।लेकिन बाद में मुझे भी मजबूर होकर चूसना पड़ा। मेरी गुलाबी नाजुक पंखुड़ियों जैसे होंठो को चूस चूस कर भौरे की तरह उसका रस निकाल कर पी रहा था। मै तो हल्का सा
भारतीय हनीमून की रात में जंगली मौज
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