जवानी की कुश्ती में गीले सपने

अअअअअ… आहा … हा हा हा” की सिसकारियां निकलने लगी।कंगना की ये सिसकारियां बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैंने कंगना की दोनों चूंचियो को अपने हाथो में लेकर खेलने लगा। कंगना अपनी चूंचियां दबवा रही थी। मैंने कंगना की टी शर्ट को निकालने के लिए कंगना को बिस्तर पर बैठा दिया। कंगना बिस्तर पर बैठ गई।कंगना की टी शर्ट को मैंने निकाल दिया। कंगना जोश में थी। मैं अब कंगना के साथ कुछ भी करता कंगना कोई विरोध नहीं कर रही थी। मैंने कंगना की ब्रा का हुक भी खोलकर ब्रा को निकाल दिया। कंगना की ब्रा को निकालते ही कंगना की गोरे रंग की भूरी भूरी बूब्स दिखने लगी।कंगना को मैंने अपने पास करके मैंने कंगना को लिटा दिया। कंगना के ऊपर चढ़कर कंगना की चूंचियो को पीने लगा। कंगना की चूंचियों को पीने में बहुत मजा आ रहा था। कंगना की दोनों चूंचियो को मै दबा कर पी रहा था। कंगना की

जवानी की कुश्ती में गीले सपने

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