….आप मुझे बच्चा देंगे ना??” वो दीनहीन अवस्था में बोली.“हाँ दूंगा…..मैं तुमको बच्चा जरुर दूंगा!!” मैं कहा.दोस्तों, आज मेरा सपना साकार होने वाला था। जिस संध्या को देख देखकर मैं बाथरूम में ना जाने कितनी बार मुठ मारी थी, आज मैं उसको चोदने वाला था। जिस फूल को मैं रोज देखा करता था, उसकी खुश्बू आज मैं सूंघने वाला था। मैंने दरवाजा बंद कर लिया वरना मेरी माँ कभी भी आ सकती थी।संध्या खुद ही आकर मुझसे लिपट गयी। मुझे कुछ नही करना पड़ा। ओह्ह्ह्हह्ह…..कितनी मस्त खुसबू उसके बदन से आ रही थी, सायद उसने कोई मस्त परफ्यूम लगाया हुआ था। संध्या ने खुद ही मुझे पकड़ लिया और मेरे कंधों पर हाथ रख दिया। कुछ देर बाद हम एक दूसरे को किस करने लगे।बाप रे!!
गांव की देहाती झोपड़ी में भड़की नंगी देहों की रंगरलियाँ
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