गले को ढीला कर दे, डॉक्टर

.ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ…..” करने लगी थी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था।“आओ मेरे लंड को ठीक तरह से चूस दो” बाबूजी मुझसे बोले और अपनी लुंगी को खोल दिए.वो घर पर हमेशा सफ़ेद बनियान और नीली लुंगी में रहते थे। जैसे ही उसे खोले तो अंदर से नंगे थे। कोई अंडरवियर नही था। उनका 10” का लौड़ा मेरे सामने था। मैं जमीन पर बैठ गयी और लंड को पकड़कर फेटने लगी। मैं अच्छे तरह से फेट रही थी।बाबूजी मेरे सामने खड़े हुए थे। उनके लौड़े में हवा भरने लगी। वो टनटनाने लगा। फिर खड़ा होने लगा। मैं अब मुंह में लेकर चूसना चालू कर दी। बाबूजी “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. XXX तू इतनी सेक्सी माल कब बन गयी। मुझे तो पता ही नही चला” बाबूजी कहने लगे.“जब आप संध्या चाची को चोद रहे थे तभी मैं जवान हो गयी” मैंने कहा.बाबूजी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। कुछ सेकंड मेरे रसीले 34”

गले को ढीला कर दे, डॉक्टर

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