ब्रिटनी की मोटी छाती रसोई में उछलती है

मैं ऐसी ही बिंदास हूँ। वैसे एक बात और भी है… सामने वाला भी मुझे पसंद आना चाहिए।मेरा दिल जोर से धड़का… क्या कह रही थी वह?मैं उसे पसंद आ रहा था !“मनीष के बाद से खाली हो?” मैंने होंठों पे जुबां फेरते पूछा।“हाँ… वीक हो गया और कोई मिला ही नहीं अब तक। तुम्हें खुले दिमाग की लड़कियाँ पसंद हैं या वो शर्मीली, सकुचाई जो सम्भोग के आनन्ददायक पलों में आँखें बंद कर के धीरे धीरे सिसकारती हैं?”“सच कहूँ तो मुझे वो लड़की पसंद आती है जो बाहर भले खुद को नकाब में छुपाये रखे और किसी को जल्दी छूने तक न करने दे लेकिन सम्भोग के पलों में किसी रंडी की तरह व्यवहार करे !” मैंने भी सीधे मन की बात कह दी और यह सुन कर उसकी आँखें चमक उठीं।“और खुद नेचर में कैसे हो… मनीष की तरह पजेसिव?”“नहीं, मैं आम खाने से मतलब रखता हूँ, गुठलियाँ गिनने से नहीं। मुझे लाइफ

ब्रिटनी की मोटी छाती रसोई में उछलती है

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