तेरे बड़े गरम लंड पर उछल-उछल कर अपने भारी भरकम बोब्स हिलाना चाहती हूँ

योनि का कौमार्य बचे रहने की एक जो आखिरी उम्मीद बनी हुई थी वह जाती रही। मेरे कानों में उसके शब्द सुनाई पड़े, “और वह मुझे प्यार और सहयोग से मिले, न कि अनिच्छा और जबरदस्ती से।”पता नहीं क्यों मुझे अरुण की अपेक्षा छवि से घोर वितृष्णा हुई। इससे पहले कि वह मुझे कुछ कहती मैंने अरुण को हामी भर दी। मुझे कुछ याद नहीं, उसके बाद क्या कैसे हुआ। मेरे कानों में शब्द असंबद्ध-से पड़ रहे थे जिनका सिलसिला जोड़ने की मुझमें ताकत नहीं थी। मैं समझने की क्षमता से दूर उनकीहरकतों को किसी विचारशून्य गुड़िया की तरह देख रही थी, उनमें साथ दे रही थी। अब नंगापन एक छोटी सी बात थी, जिससे मैं काफी आगे निकल गई थी। ‘कैंची’, ‘रेजर’, ‘क्रीम’, ‘ऐसे करो’, ‘ऐसे पकड़ो’, ‘ये है’, ‘ये रहा’, ‘वहाँ बीच में’, ‘कितने गीले’, ‘सम्हाल के’, ‘लोशन’, ‘सपना-सा है’…………… वगैरह वगैरह स्त्री-पुरुष की मिली-जुली आवाजें, मिले-जुले स्पर्श।बस इतना समझ पाई थी कि

तेरे बड़े गरम लंड पर उछल-उछल कर अपने भारी भरकम बोब्स हिलाना चाहती हूँ

Actors: Depravedminx

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