भड़कीला अश्वेत मौसम

पापा उठे और मेरी टांगो को फैलाया और खुद मेरी टांगो के बीच के आ गए पापा का मूसल लंड अब ठीक मेरी चूत के सामने और मेरी चूत भी पापा के लंड के स्वागत के लिए तैयार थी।पापा मेरी आंखो मैं देखते बोले तुम पकड़ लगाओ मैं धक्का मारता हूं तो मैंने पापा का लंड पकड़ कर अपनी चूत पर दर्द से सेट करते हुए कहा जरा धीरे धीरे अंदर घुसना। पापा ने मेरी दोनो टांगों को पकड़ कर ऊपर उठे हुए एक जोरदार धक्का मेरी चूत पर मारा तो पापा का लंड पूरा दंडंत हुआ मेरी चूत में घुस गया तो मेरे मुंह से हल्की से गाल निकल गई.तो मैंने पापा को डांटते हुए कहा क्या आप भी कितनी जोर से डालते हो एक बार है गुस्सा डालते हो अभी मेरी गाल निकलते निकलते रह गई कहीं बच्चों ने सुन ली तो आप को बस कुछ भी ध्यान नहीं रहता पापा मेरी चूत

भड़कीला अश्वेत मौसम

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