तो बोला कुछ भी नहीं बस यू ही, मैं तो समझ गई, मेरे भाई बोला की कुसुम तुम्हे कब्बडी खेलने आता है, तो मैं समझ गई वो क्या कहना चाह रहा है, और इस कबड्डी के बहाने वो क्या करेगा, पर मैंने भी मूड में थी, सोची की चलो आज कबड्डी खेल ही लेते है, ड्राइंग रूम में ही कब्बडी खेलने लगे.इधर से मैंने कबड्डी कबड्डी कबड्डी कबड्डी करते हुए जाती और उसको छूने की कोशिश करती, पर वो पीछे हो जाता और जैसे मैं वापस आने के लिए करती वो मुझे पीछे से पकड़ लेता, वो भी मेरी दोनों हाथो से मेरी चूचियों को और फिर मैं कबड्डी कबड्डी करते रहती और वो अपना लंड मेरे गांड में सटाये रखता, उसका मोटा लंड मेरे चूतड़ के बीचो बीच पड़ता.उसको बाद जब उसकी बारी आती वो आता और छू कर भागता नहीं बल्कि वो लेट जाता और कबड्डी कबड्डी कबड्डी कबड्डी कबड्डी बोलते ही रहता
पराया मर्द
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