रात की पार्टी के बाद नवयौवना के साथ जंगली सुरंगों में रसिया रात

आहह्ह… तुम तो बहुत अच्छे से मजा दे रहे हो बेटा, अपनी मम्मी को!”अमर पहले भी कई बार मेरी चूत को चूस और चाट चुका था, इसलिये वो मेरी हर हरकत से वाकिफ़ था, इसलिये इससे पहले कि मैं एक बार और झड़ जाती, अमर ने मेरी चूत को चाटना बंद कर दिया। मैं एक पल को नाखुश हो गयी। लेकिन फ़िर जैसे ही अमर ने अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को सहलाया, मेरे सारे बदन में एक तरंग सी दौड़ गयी और मेरे मुँह से जोर की आहह्ह निकल गयी।”आह अमर बेटा!” मैं आनंदातिरेक में पूरे बदन को हिलाते हुए बोली, मेरा बेटा जो मजा मुझे दे रहा था वो अविस्मर्णीय था। जैसे ही अमर ने मेरी चूत में दो ऊँगलियाँ घुसाकर, चूत के दाने को अँगूठे से मसलना शुरू किया, मैंने बैडशीट को अपनी मुट्ठी में भर कर पकड़ लिया, और चीखते हुए बोली, ”आह्ह्ह्ह मेरा बेटा… हे भगवान…”जब अमर ने

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