निकोल लुवा: पैरों की प्यासी पोडियाट्रिस्ट

मेरे मुंह से आवाज ही नही निकल रही थी।“माँ…अपनी चोरी छुपाने की कोशिश मत करो। हम तुम्हारे काण्ड के बारे में जान गये है। तुम अंकल से चुदवा रही थी ना??” मेरे बेटे दीपक अमन बोले.“माँ..पापा को आने दो। हम तुम्हारी काली करतूत के बारे में उनको सब बता देंगे” दीपक अमन बोले.“नही..बेटे.ऐसा मत करना, वरना तुम्हारे पापा मुझे इस घर से निकाल देंगे” मैं अपने लड़कों से विनती करने लगी.“बेटे..मेरे पास बहुत पैसा है। तुम जितना चाहोगे मैंने तुमको पैसा दूंगी!!” मैंने अपने बेटों से कहा.“माँ…हमे पैसा नही चाहिए??” दीपक अमन बोले.“.फिर क्या चाहिए???” मैंने हैरान होकर पूछा.“माँ…अब हम १८ साल के हो चुके है। हम जवान हो चुके है..हमे तो बस तुम्हारी चूत चाहिए!!” मेरे दोनों बेटे एक साथ बोले.“मुझे मंजूर है..तुम दोनों मुझे जी भरकर चोद लो.पर अपने पापा से मत बताना” मैंने कहा.उसके बाद मेरे दोनों बेटों ने अपनी अपनी टीशर्ट जींस निकाल दिए। अपने अपने कच्छे निकाल दिए। आज पहली

निकोल लुवा: पैरों की प्यासी पोडियाट्रिस्ट

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